हमारे देश में नदियां सिर्फ जल का स्रोत नहीं बल्कि पूजनीय मानी जाती हैं |14 March International River action Day
इस भाव के बावजूद नदियों का सूखता आंचल किसी को नजर नहीं आता स्थिति बिगड़ती जा रही है और प्रयास बस कागजों पर नजर आते हैं |
इस बात की गंभीरता को समझने के लिए ही प्रतिवर्ष 14 मार्च को नदियों के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्यवाही दिवस(14 March International River action Day) मनाया जाता है नदियों के संदर्भ में दो बातें बड़ी महत्वपूर्ण हैं |
प्रथम नदियों के बारे में शास्त्रों में इंगित है कि नदियां हमारा इतिहास वर्तमान व भविष्य हैं|
दूसरी बात पृथ्वी में नदियों का प्रवाह ठीक उसी तरह समझना चाहिए जिस तरह से जीवित शरीर में रक्त के प्रवाह के लिए धमनियों का स्थान है |
अगर यह किन्ही कारण से ठहरती या समाप्त हो जाती हैं तो यह ठीक उसी तरह से समझा जाएगा जिस तरह जीवित व्यक्ति का शरीर निर्जीव हो जाता है |
हमारे इतिहास का बहुत बड़ा हिस्सा नदिया रही है फिर वह भगवान शिव की जटाओं की भागीरथी हो या यम से यमुना या फिर मानसरोवर से सिंधु और ब्रह्मपुत्र यह सब किसी न किसी रूप में हमारे इतिहास से जुड़ी रही है|
इनमें हमारी सभ्यताओं के दर्शन भी होते हैं दुनिया में आज भी नदियों के किनारे पनपी सभ्यता को सबसे बड़ा महत्व दिया जाता है और इसका कारण भी साफ है कि जीवन पनपने का सबसे बड़ा माध्यम जल और उसकी वाहक नदियां हैं |
यह बात दूसरी है कि 5 दशक से हमने नदियों का इस तरह तिरस्कार किया है कि आज नदियां हमारा साथ छोड़ रही हैं ऐसे हालात अपने ही देश में नहीं बल्कि सारी दुनिया में नदियों को लेकर चिंता खड़ी हो चुकी है|
इस बात की गंभीरता को समझते हुए 14 मार्च 1997 को नदियों के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्यवाही दिवस की पहल की गई और तब से लगातार ये दिवस दुनिया भर में मनाया जा रहा है वर्तमान में या 27 वां दिवस होगा|
इसको मनाने के पीछे दुनिया को नदियों की स्थितियों के प्रति गंभीर करना है इसके योगदान को ध्यान में रखते हुए इसके महत्व को दर्शाना है जो सभी तरह के जीवों से जुड़ा है इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि किस तरह से हम नदियों को बचाने व उन्हें स्वच्छ रखने की पहल कर सके |
हर नदी पर संकट-14 March International River action Day
इस बार का विषय सभी के लिए जल रखा गया है इसमें से ऐसा कोई भी नहीं है जो बिना पानी के रह सकता हो और नदियां इसका आधार है|
इस बार नदियों के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्यवाही दिवस का केंद्र है की नदियों को देश की संपत्ति माना जाए और उनके भी अधिकारों को सुरक्षित किया जाए इन्हें कूड़ा कचरा डंप करने वाली जगह न बनाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाय|
दुनिया में कोई भी नदी ऐसी शेष नहीं जो आज दूषित ना हो अगर हमने चिंता नहीं की तो सभी तरह की नदियां अपना अस्तित्व खो देगी |
सारी दुनिया में यह स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं कहीं जा सकती इनमें अपने देश की नदियां भी शामिल है |
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंडोनेशिया की सीतारम ,चीन की ह्वांगहो नदी, यूनाइटेड स्टेट में मिसिसिपी नदियों के हाल बहुत खराब है |
इसी तरह अर्जेंटीना में मतान्जा, फिलिपींस की मारीकीना या यूरोप में सरनो , देन्यूब या राइन आदि सब बड़ी नदियां आज दूषित हो चुकी हैं यह नदियां उन देशों की जीवनदायनी है |
और इन सभी नदियों के हालात खराब होने के पीछे मुख्य रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर ऊर्जा के लिए उपयोग में लिए जाने वाले तमाम तरह के संयंत्र और सबसे बड़ा कारण माइनिंग है |
हम भी हैं कगार पर है-14 March International River action Day
अपने देश में बुरी स्थिति वाली नदियों में यमुना का नाम सबसे पहले आता है उसके बाद गोदावरी, घग्गर और गोमती नदी है मथुरा में यमुना की तरह कानपुर में गंगा के हालात अभी भी सुधरे नहीं है |
इन नदियों का विश्लेषण बताता है कि इनमें विषाक्त पदार्थों स्तर बढ़ चुका है इनमें करीब 35 ऐसी धातु है जो मानव स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है इनमें भी 23 ऐसी हैं जिन्हें भारी धातु कहा जाता है |
इनकी बढ़ती सांद्रता के कारण नदियों की स्थिति गंभीर हो चुकी है उनकी इस स्थिति के दो कारण है पहले उद्योगों का कचरा जो इनको किसी न किसी रूप में दूषित करता है और दूसरा हमारी प्रवृत्ति में है जिसमे हम नदियों को अपने कचरे का डंपिंग जोन बना देते हैं |
भारी धातुवें धीमे जहर के रूप में कार्य करती हैं जो आगे जाकर तमाम बीमारियों की कारक बनती हैं हमारे शरीर में भारी धातुओं के जाने के बहुत से रास्ते हैं यह खेती बाड़ी के रास्ते हमारे शरीर में प्रवेश कर जाती हैं |
जिनका पानी नदियों से आता है इसलिए जरूरी हो जाता है कि हम यह समझे की नदियां जीवन दायनी बनी रहे ना कि जीवन मारक बन जाए |
सभी निभाएं कर्तव्य-14 March International River action Day
हमारी नदियां बहुत सी नदियां वर्षा जनित हैं और इन नदियों के हालात ज्यादा गंभीर है क्योंकि लगातार लंबे समय से इनके बाहाव में कमी आई है यह प्रकृति का सिद्धांत है की नदियों में जितना ज्यादा पानी होगा वह उतने ज्यादा समय तक स्वयं को साफ भी रख सकती हैं |
लेकिन लंबे समय से वर्षा जनित नदियों में पानी का आभाव है इसका कारण यह है कि हमारे जलाश्यों की स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है दुनिया के ही 50 बड़े जलाशयों की 40% क्षमता खत्म हो चुकी है |
जिस कारण वर्षा के जल को नदियों में संचित करने के लिए सक्षम नहीं रहे |
नदी बचाना मात्रा किसी दिवस के रूप में संभव नहीं होगा बल्कि नदी को बचाना अपने ही जीवन के लिए ज्यादा जरूरी है और यही जागरूकता लाना इस दिवस का उद्देश्य है |
हालांकि इनमें बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं आया है इसके लिए सभी को दोषी ठहराया जाना चाहिए इनमें कोई भी ऐसा नहीं है जो नदियों के प्रति इस तरह की गंभीरता को दिखाता हो |
आज हमारा समाज ही नदियों की मृत्यु का कारण बन रहा है मतलब वही नदियां जिन्होंने सभ्यता को जन्म दिया, वही अब भावी सभ्यता को मिटाने के लिए तैयार हो चुकी है |
14 March International River action Day
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