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Toggleपूज्य गुरूदेव भगवान पं. श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी का संक्षिप्त जीवन परिचय
आईये जानते है Bageshwar Dham Sarkarपूज्य गुरुदेव, भगवान पं. श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी, देश और संपूर्ण विश्व में सनातन की जागृति के लिए समर्पित एक प्रसिद्ध संत और कथाव्यास हैं। उन्होंने अपने जीवन को भगवान की सेवा और मानवता के लिए समर्पित किया हैBageshwar Dham Sarkar
गुरुदेव का जन्म 4 जुलाई 1996 को छतरपुर जिले के एक छोटे से ग्राम गढ़ा में हुआ था। उनके पिताश्री का नाम श्री रामकृपाल गर्ग और माताश्री का नाम श्रीमती सरोज गर्ग था। उनका बचपन एक गरीब ब्राह्मण परिवार में बीता, लेकिन उन्होंने अपने बाल्यकाल से ही सनातन के प्रति विशेष रुचि और समर्पण दिखाया।Bageshwar Dham Sarkar
गुरुदेव के धाम के बारे में Bageshwar Dham Sarkar
गुरुदेव ने अपने जीवन में बगैर किसी व्यक्ति के बताए हुए, महर्षि वाल्मीक के कालखण्ड की विधि के माध्यम से भूत, वर्तमान और भविष्य की प्रेरणाएं कागज पर अंकित करने का काम किया।
उन्होंने सनातन के प्रति श्रद्धा और समर्पण के साथ भगवान की सेवा का लक्ष्य प्राप्त किया। उन्होंने श्री बालाजी और बागेश्वर महादेव के मंदिरों का रखरखाव और निर्माण किया।
आज, पूज्य गुरुदेव देश और संपूर्ण विश्व में सनातन की कथाओं का काम कर रहे हैं और लाखों लोगों को सनातन संस्कृति से जोड़ने में मदद कर रहे हैं। उनके माध्यम से लोगों को आत्मनिर्भर बनाने और उनके कष्टों के निवारण में मार्गदर्शन मिल रहा है।Bageshwar Dham Sarkar
होने वाले संस्कृतिक कार्यक्रम Bageshwar Dham Sarkar
श्री बागेश्वर धाम पर विशेष महोत्सवों का आयोजन होता है। प्रतिदिन यहां श्री बालाजी के भक्तों का मेला लगता है, जिससे प्रतिदिन यहां एक उत्सव का वातावरण बना रहता है। किंतु इसके अलावा वर्ष में चार बड़े महोत्सवों का आयोजन होता है। सबसे बड़ा महोत्सव महाशिवरात्रि पर होता है, जिसमें बागेश्वर धाम जन सेवा समिति द्वारा सैकड़ों निर्धन, असहाय परिवारों के विवाह का मेला आयोजित किया जाता है। इस महोत्सव पर संत प्रवचन, कथा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं।
श्री हनुमान जी महाराज के प्राकट्योत्सव पर भी धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर विद्वान कथाव्यासों की कथा आयोजित की जाती है ताकि जनमानस को सनातन संस्कृति से जोड़ा जा सके।Bageshwar Dham Sarkar
श्री बागेश्वर धाम पर भव्य गुरुपूर्णिमा महोत्सव भी आयोजित किया जाता है, जिसमें गुरु दीक्षा संत वाणी सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ होती हैं।इसके अतिरिक्त, पूज्य गुरुदेव के धाम पर उपस्थित होने पर विशेष यज्ञ अनुष्ठान और कथा आयोजित किए जाते हैं।
सेवा समिति के बारे में Bageshwar Dham Sarkar
चलिए, जानते हैं बागेश्वर धाम जनसेवा समिति के वर्तमान और आगामी संकल्पों के बारे में। पूज्य गुरूदेव ने श्री बालाजी सरकार की कृपा पाकर, पूज्य सन्यासी बाबा और पूज्य दादा गुरू की प्रेरणा से, सनातन के प्रचार के साथ-साथ समाज के उद्धार और परोपकारी कार्यों का राष्ट्रव्यापी अभियान प्रारंभ किया है। उनके इस राष्ट्रव्यापी अभियान के अंतर्गत अनेक सेवा के संकल्प प्रारंभ किए गए हैं। इन संकल्पों के माध्यम से श्री बागेश्वर धाम जनसेवा समिति समाज और राष्ट्र को लाभ पहुँचा रही है।(Bagheshwar Sarkar Dham)
पूज्य गुरुदेव ने श्री बागेश्वर धाम पर आने वाले भक्तों की प्रसादी के लिए 5 वर्ष पहले अपने पूज्य पिता श्री रामकृपाल गर्ग जी की प्रेरणा से मां अन्नपूर्णा रसोई का संचालन प्रारंभ किया था। सप्ताह में मंगलवार एवं शनिवार को एक साथ लाखों श्रद्धालु यहां प्रसाद पाते हैं जबकि अन्य दिनों में यह संख्या हजारों में होती है। पिछले पांच वर्षों से प्रतिदिन यहां हजारों लोग निःशुल्क भण्डारा पा रहे हैं। उनके इसी सूत्र वाक्य को सिरोधार्य करते हुए बागेश्वर धाम जन सेवा समिति यह अन्नपूर्णा रसोई नियमित रूप से संचालित कर रही है।Bageshwar Dham Sarkar
यह भारत का एक मात्र पहला ऐसा तीर्थ है जहां की दान पेटी में आये दान से हर वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर सभी वर्गों की असहाय, निर्धन बेटियों के विवाह कराये जा रहे हैं। वर्ष 2024 में श्री बागेश्वर धाम पर 151 बेटियों के विवाह का लक्ष्य रखा गया है। इस विवाह समारोह में पूज्य गुरुदेव ने सभी बेटियों को अपने आशीर्वाद के साथ संपूर्ण गृहस्थी की सामग्री भी प्रदान की। विगत चार वर्षों से बागेश्वर धाम पर बेसहारा और असहाय परिवारों की निर्धन बेटियों के विवाह कराए जा रहे हैं।
पूज्य गुरुदेव ने एक राष्ट्रव्यापी अभियान प्रारंभ किया है, संपूर्ण देश और सनातनी परिवारों को गौसेवा के लिए प्रेरित करते हुए। श्री गुरुदेव कहते हैं कि एक हिन्दू एक गाय, अर्थात् हर हिन्दू को एक गाय की सेवा करनी चाहिए, जिससे कि गौमाता समस्याओं से मुक्त हो सकें। इसी संकल्प को धारण करते हुए, बागेश्वर धाम पर एक गौशाला का निर्माण किया गया है। यहां आंध्रप्रदेश की पुगनूर नस्ल की विलक्षण गायों के साथ-साथ, बुन्देलखण्ड की देशी गायों का पालन-पोषण किया जा रहा है। पूज्य गुरूदेव नियमित रूप से गौसेवा करते हैं और लोगों को भी इस गौसेवा के लिए प्रेरित करते हैं|
पर्यावरण और इस प्रथ्वी के बारे में
पूज्य गुरूदेव ने वर्ष 2021 में 5 जून पर्यावरण दिवस के अवसर पर मां प्रकृति की सेवा के लिए एक अनूठा अभियान प्रारंभ किया। इस अभियान के माध्यम से उनके मार्गदर्शन में बागेश्वर धाम शिष्य मण्डल एवं सनातनी परिवारों के द्वारा 11 लाख पौधों के रोपण का कार्य किया जा रहा है। प्रतिवर्ष बरसात के उपरांत जगह-जगह पौधे रोपित किए जाते हैं एवं इन पौधों के संरक्षण का संकल्प लिया जाता है। पूज्य गुरूदेव के निर्देश पर देश भर में अनेक स्थानों पर सनातनी परिवारों ने पौधे रोपित करते हुए श्री बागेश्वर बगिया का निर्माण प्रारंभ कर दिया है। इस अभियान के माध्यम से बागेश्वर धाम जन सेवा समिति पर्यावरण के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
पूज्य गुरूदेव ने सनातनी हिन्दू राष्ट्र निर्माण की संकल्पना की है, जाति पंथों में बटे हिन्दू समाज को एकजुट करने और भारतीय वैदिक संस्कारों की पुनर्स्थापना के लिए। उनका उद्देश्य है कि जातियों में विभाजित हिन्दू समाज अपने संस्कारों से मुक्त हो रहा है, इसलिए ऐसे समाज को हिन्दू सनातनी भाव से जोड़ते हुए हिन्दू संस्कारों, रीतिरिवाजों, कर्मकाण्डों, शास्त्रों की रक्षा की जाए। उन्होंने पूज्य बालाजी से प्रार्थना की है कि भारत हिन्दू राष्ट्र बने और इसके लिए वे समाज को अपनी कथाओं के माध्यम से जागृत कर रहे हैं। आज देश भर में पूज्य गुरूदेव की प्रेरणा के कारण हिन्दू राष्ट्र निर्माण की आवाज बुलंद हो रही है।
रोगों के उपचार के लिए Bageshwar Dham Sarkar
पूज्य गुरूदेव ने शारीरिक कष्ट के निवारण के लिए दवा और दुआ दोनों की आवश्यकता होती है, इसी उद्देश्य को आत्मसात करते हुए सर्वप्रथम श्री बागेश्वर धाम पर मंत्र चिकित्सा के माध्यम से लोगों की सेवा की। तदोपरांत शासकीय सहयोग से श्री बागेश्वर धाम पर एक आयुर्वेदिक अस्पताल की स्थापना कराई और अब उन्होंने बागेश्वर धाम जन सेवा समिति के माध्यम से छतरपुर जिले में एक सेवाभावी कैंसर अस्पताल खोलने का संकल्प लिया है। उनका लक्ष्य है कि वर्ष 2029 तक छतरपुर जिले में एक भव्य कैंसर अस्पताल का निर्माण किया जाए जहां सेवा को उद्देश्य मानते हुए बेसहारा, गरीब, वंचित और जरूरतमंद मरीजों का निःशुल्क कैंसर उपचार किया जाए।
शिक्षा के बारे में Bageshwar Dham Sarkar
पूज्य गुरूदेव ने सनातन संस्कृति की रक्षा, शास्त्रों के पठन-पाठन, कर्मकाण्डों के समुचित विधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से युवा पीढ़ी तक वैदिक शिक्षा पहुंचाने का संकल्प लिया है। उनके इस संकल्प के आधार पर बागेश्वर धाम जन सेवा समिति शीघ्र ही श्री बागेश्वर धाम पर गुरूकुल निर्माण प्रारंभ करने जा रही है। यहां शास्त्रों के पठन-पाठन के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा का समावेश करते हुए एक सुदृढ़ युवा पीढ़ी का निर्माण किया जाएगा जो भारत को सही अर्थों में विश्व गुरु बनाने में सहयोगी सिद्ध होगी। इस गुरूकुल निर्माण के लिए भी पूज्य गुरूदेव ने सभी सनातनियों से सेवा और दान का आहवान किया है।
सामाजिक समरसता से हिन्दुत्व की मजबूती कालांतर में अनेक विदेशी आक्रांताओं के द्वारा सनातन की महान संस्कृति को नष्ट करने के लिए विभाजन की नीति अपनाते हुए हिन्दुत्व के विचार को तोड़कर जातिवाद के विचार को बढ़ावा दिया गया। आज समय आ गया है कि हम सामाजिक समरसता को मजबूत कर हिन्दुत्व को मजबूत करें ताकि फिर कभी षडयंत्रकारी ताकतें हमारी महान सनातन संस्कृति को आपात न पहुंचा सकें। सब हिन्दू एक हो, भारत हिन्दू राष्ट्र हो ।
कर्मकाण्ड के बारे मेंBageshwar Dham Sarkar
धरती के त्रिदेव क्या आप त्रिदेवों के विषय में जानते हैं, क्या आप उनके दर्शन करना चाहते हैं, क्या आप उनसे अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण कराना चाहते है तो आईए धरती के त्रिदेवों को जानिये इस धरती पर हमारे माता-पिता और गुरु हो त्रिदेव हैं जो जनरेटर, ऑपरेटर और अहंकार के डिस्ट्रॉयर के रूप में जाने जाते हैं। इसीलिए हम सदा कहते हैं माता-पिता और गुरू का सम्मान करिये। यही आपको सही मार्गदर्शन दे सकते हैं।
तिलक लगाना क्यों जरूरी? जिस तरह एक विवाहित स्त्री माथे पर लगे सिंदूर के माध्यम से पलिव्रता के रूप में पहचानी जाती है उसी तरह सनातनी हिन्दू माथे पर तिलक लगाकर भगवत भक्त के रूप में पहचाना जाता है। जब अन्य पंथों के लोगों अपने प्रतीक चिन्हों को अपनाने में आपत्ति नहीं तो फिर हमारे युवाओं को यह आपत्ति क्यों? आईए सनातन संस्कृति को अपनाएं, तिलक के महत्व को समझें और जीवन में धारण करें।
संत उदय संतत सुखकारी, विश्व सुखद जिमी इंदु तमारी जिस तरह चन्द्रमा उदय होकर रात्रि के अंधेरे को शीतलता पूर्वक दूर करता है। वैसे ही संत प्राणियों के दुखों का हरण कर लेते हैं। सनातन संस्कृति में ईश्वर के उपरांत जगत में संत ही आपके दुखों का निवारण करने का सामर्थ्य रखते हैं। अतः जब भी अवसर मिले संतों के दर्शन अवश्य करें। संत सेवा को जीवन का अभिन्न संकल्प बनाएं, यह संकल्प आपके लिए सर्वदा हित है |